महाराणा प्रताप जयंति (ज्येष्ठ शुक्ल ३,विक्रम संवत २०८१) के अवसर पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति उदयपुर के द्वारा संस्कार भारती उदयपुर इकाई के सहयोग से भारतीय कला परंपरा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विषय पर चार दिवसीय राष्ट्रीय कला कार्यशाला और कला संवाद आयोजित किया जा रहा है। कला कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय सामाजिक जीवन में स्थापित सांस्कृतिक परम्पराओं और जीवन मूल्यों का पुनरावलोकन करना और समाज को पुनः अपने शाश्वत जीवन मूल्यों से अवगत कराना है। भारतीय कला परंपरा में सदैव से ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन फसुखाय’ की अवधारणा सामाजिक जीवन का केंद्र बिंदु और जीवन मूल्यों का आधारगत विचार रही है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इसी कला विमर्श को दृष्टिगत रखकर भारत के विख्यात चित्रकार अपनी कूंची से मेवाड़ के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक आयामों के साथ–साथ महानायकों के जीवन प्रसंग और राष्ट्र के प्रति त्याग और समर्पण की भावना को कलाकृतियों के माध्यम से आमजन के मध्य अभिव्यक्त करेंगे। आमंत्रित कलाकारों में भरतमुनि पुरस्कार प्राप्त चित्रकार श्री विजय अचरेकर–महाराष्ट्र, श्री राम की प्रतिमा की परिकल्पना को चित्ररूप में सृजित करने वाले डॉ. सुनील विश्वकर्मा-बनारस, श्री मनोज सकले, कविता सालुंके, गजानन सालुंके–पुणे, डॉ. लक्ष्मण प्रसाद–नई दिल्ली और उदयपुर से श्री ओम प्रकाश जी सोनी, युगल किशोर शर्मा, रामसिंह भाटी, पुष्कर लोहार, शंकर शर्मा, अनुराग मेहता, मनदीप शर्मा, दुर्शित भास्कर, निर्मल यादव कार्यशाला में प्रतिभागी कलाकारों के रूप में हिस्सा लेंगे। यदि आप भी कला के चितेरे हैं, यदि आप भी चित्र बनाने में रूचि रखते हैं तथा अपनी कला को ऐसे दिग्गज चित्रकारों की संगति में निखारना चाहते हैं तो आइये भारतीय कला परंपरा के इस अथाह सागर में गोते लगाने के लिए पंजीकरण करें| राष्ट्रीय कला कार्यशाला दिनांक 6 जून से 9 जून 2024 तक| *भाग लेने वाले सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा| सहआयोजक :- संस्कार भारती उदयपुर इकाई
संयोजक
प्रो. मदन सिंह राठौड़
अनुदेशक
डॉ.लक्ष्मण प्रसाद
श्री मनोज सकले
डॉ. निहारिका राठौड़
श्रीमती कविता सालुंके
श्री गजानन सालुंखे
कुदालैय्या एम. हिरेमठ
श्री ओम प्रकाश जी सोनी
डॉ. राम सिंह भाटी
डॉ. शंकर शर्मा
श्री पुष्कर लोहार
डॉ. निर्मल यादव
श्री अनुराग मेहता
श्री मनदीप शर्मा
श्री दुर्शित भास्कर
विषय:- भारतीय कला परंपरा में सांस्कृतिक राष्ट्र दृष्टि